भगवान भोलेनाथ के भक्तों का पलासनेर बस स्टैंड पर किया भव्य स्वागत !

भगवान भोलेनाथ के भक्तों का पलासनेर बस स्टैंड पर किया भव्य स्वागत !

 प्रदेश वॉच हरदा - हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भगवान भोले के भक्त पहुंचे नेमावर घाट वहां से जल भरकर चारूवा के लिए रवाना हुए ! श्रावण माह हिंदू धर्म का सबसे पवित्र माह माना जाता है इस माह से हिंदू धर्म के सभी त्योहारों  को बड़े हर्ष और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है ! हजारों श्रद्धालुओं का ग्राम पंचायत पलासनेर के युवकों द्वारा बस स्टैंड पर विशाल कावड़ यात्रा का भव्य स्वागत किया गया ! ग्राम पंचायत पलासनेर के बस स्टैंड पर भोलेनाथ के जयकारों ''बम बम भोले'' आदि जयकारों से बस स्टैंड गूंज उठा तथा सैकड़ों की जनसंख्या में श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया जिसमें ग्राम पंचायत पलासनेर के सरपंच रामलाल गुर्जर , निलेश यादव, भूपेंद्र विश्नोई, संतोष मांझी,सुनील यादव, आशीष यादव ,श्यामसुंदर यादव,वसंता भाई , बिंदु सोनी ,दानिश बिल्लोरे, शैलेंद्र वर्मा , अखिलेश बिल्लोरे एवं अन्य साथियों के द्वारा पलासनेर बस स्टैंड पर भव्य स्वागत किया गया !

क्या है कावड़ यात्रा -

भगवान परशुराम ने अपने आराध्य देव शिव के नियमित पूजन के लिए पुरा महादेव में मंदिर की स्थापना कर कांवड़ में गंगाजल से पूजन कर कांवड़ परंपरा की शुरुआत की, जो आज भी देशभर में काफी प्रचलित है. कांवड़ की परंपरा चलाने वाले भगवान परशुराम की पूजा भी श्रावण मास में की जानी चाहिए.

भगवान परशुराम श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को कांवड़ में जल ले जाकर शिव की पूजा-अर्चना करते थे. शिव को श्रावण का सोमवार विशेष रूप से प्रिय है. श्रावण में भगवान आशुतोष का गंगाजल व पंचामृत से अभिषेक करने से शीतलता मिलती है.

भगवान शिव की हरियाली से पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है. खासतौर से श्रावण मास के सोमवार को शिव का पूजन बेलपत्र, भांग, धतूरे, दूर्वाकुर आक्खे के पुष्प और लाल कनेर के पुष्पों से पूजन करने का प्रावधान है. इसके अलावा पांच तरह के जो अमृत बताए गए हैं उनमें दूध, दही, शहद, घी, शर्करा को मिलाकर बनाए गए पंचामृत से भगवान आशुतोष की पूजा कल्याणकारी होती है.

भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने के लिए एक दिन पूर्व सायंकाल से पहले तोड़कर रखना चाहिए. सोमवार को बेलपत्र तोड़कर भगवान पर चढ़ाया जाना उचित नहीं है. भगवान आशुतोष के साथ शिव परिवार, नंदी व भगवान परशुराम की पूजा भी श्रावण मास में लाभकारी है.

शिव की पूजा से पहले नंदी व परशुराम की पूजा की जानी चाहिए. शिव का जलाभिषेक नियमित रूप से करने से वैभव और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है.

Comments

Popular posts from this blog

कतिया समाज की बैठक 25 को .

अपराधियों एवं जालसाजों के मंसूबों पर पानी फेर रहा , हरदा पुलिस प्रशासन का जनसंवाद कार्यक्रम !

पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज आये - जीवन गोळ्या